बेरुखी कहे या बदतमीजी उनकी..
चप्पल की कीमत
आज सुबह से ही पूरा घर खाने की महक से भर उठा था | नाश्ते में आज सब कुछ बाबू जी की पसंद का बना था, पोहे , आलू के परांठे , घर का बना मक्खन , गरमा-गर्म ख़ीर , साथ में दूध वाली कड़क चाय और फल भी | बहू ने बाबू जी के लिए खाना थाली में परोसा और बाबू जी ने चुप चाप नाश्ता किया और अपना पुराना सा थैला उठाया