Tag: laghu katha

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बाबू जी का लाड प्यार

राहुल ने जब हैरी की यह टालमटोल देखी तो गुस्से से हैरी अपने पास बुलाया | पिता की गुस्से भरी आवाज से डर कर हैरी झट से आ गया और साथ ही मे बाबू जी भी आ गए |

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मालती

मालती को गुजरे 5 साल हो गए थे । ना जाने क्यों आज मालती की बहुत याद आ रही थी। शायद इसलिए क्योंकि फिर से बारिश ने खिड़की पर दस्तक दी थी या फिर क्योंकि आज हमारी शादी की पचासवीं सालगिरह थी ।

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घंटी – दी डोर बैल – Gaint Tiny Story

दीदी, मै कल से काम पे नहीं आएगी। अरे क्या हुआ बिमला। कुछ नहीं हुआ दीदी । तोह फिर काम पे क्यों नहीं आयेगी। ऐसे ही दीदी। ऐसे ही क्या होता है,

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चप्पल की कीमत

आज सुबह से ही पूरा घर खाने की महक से भर उठा था | नाश्ते में आज सब कुछ बाबू जी की पसंद का बना था, पोहे , आलू के परांठे , घर का बना मक्खन , गरमा-गर्म ख़ीर , साथ में दूध वाली कड़क चाय और फल भी | बहू ने बाबू जी के लिए खाना थाली में परोसा और बाबू जी ने चुप चाप नाश्ता किया और अपना पुराना सा थैला उठाया

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